रिक्त नहीं थी मैं
तुमने कहा
तुम अपना दर्द मुझे दो
मैं उसें ख़ुशी मैं बदल दूंगा
मान गई मैं
तुमने कहा
तुम अपने आँसूं मुझे दे दो
मैं उसें हंसीं मैं बदल दूंगा
मान गई मैं
तुमने कहा
तुम अपनी दरकन मुझे दो
उसें जुड़ाव में बदल दूंगा
मान गई मैं
तुमने कहा
तुम अपनी रिक्तता मुझे दो
भर दूंगा उसें
नहीं मानी मैं
क्योंकि
रिक्त नहीं थी मैं
नस-नस मैं थी
उसकी याद
हृदय में था
उसका कंपन
कानों में थी
उसकी गूंज
होंठों पर था
उसका नाम
आत्मा में था
उसका संचार
मुझमे था वो
रिक्त नहीं थी मैं
तुमने कहा
तुम अपना दर्द मुझे दो
मैं उसें ख़ुशी मैं बदल दूंगा
मान गई मैं
तुमने कहा
तुम अपने आँसूं मुझे दे दो
मैं उसें हंसीं मैं बदल दूंगा
मान गई मैं
तुमने कहा
तुम अपनी दरकन मुझे दो
उसें जुड़ाव में बदल दूंगा
मान गई मैं
तुमने कहा
तुम अपनी रिक्तता मुझे दो
भर दूंगा उसें
नहीं मानी मैं
क्योंकि
रिक्त नहीं थी मैं
नस-नस मैं थी
उसकी याद
हृदय में था
उसका कंपन
कानों में थी
उसकी गूंज
होंठों पर था
उसका नाम
आत्मा में था
उसका संचार
मुझमे था वो
रिक्त नहीं थी मैं
पुस्तक ज़र्र- ज़र्रे में वो है से यह कविता