आशा का आँगन
रविवार, मार्च 28, 2010
ओ ह्रदय!
ओ हृदय !
लड़ो मस्तिष्क से
रखो उसें निज अधीन
मस्तिष्क का तुम पर आधिपत्य
बना देगा ,सृष्टी सवेंदनहीन
मेरी पुस्तक "वक्त की शाख पे "
1 टिप्पणी:
रश्मि प्रभा...
बुध मई 12, 10:57:00 pm
rachnaon ki visheshta apni jagah hai....vistaar mein kis tyarah padhun?
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rachnaon ki visheshta apni jagah hai....vistaar mein kis tyarah padhun?
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