आशा का आँगन
रविवार, मार्च 28, 2010
अंधी हो गई
मूल्य लालटेन का
नहीं जुटा पाई
जब वह
बेचती गई
खुद को
रोशनी की खातिर
अंधी हो गई
मेरी पुस्तक "वक्त की शाख पे "से
1 टिप्पणी:
रश्मि प्रभा...
शुक्र अप्रैल 30, 06:28:00 pm
कम लफ़्ज़ों में बहुत कुछ कहना आपकी कलम का कमाल है , यानि आपका
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कम लफ़्ज़ों में बहुत कुछ कहना आपकी कलम का कमाल है , यानि आपका
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