शनिवार, जुलाई 01, 2017

श्याम सखा

श्याम सखा तुम आज पधारो।
कष्ट पीर से आय उबारो।।
बाल पने  का तू है साथी।
इस जीवन की तू ही थाती।।

रक्त शिराओं में तू घुलता।
धड़कन धड़कन तू ही मिलता।।
तेरी सुधियाँ इतनी आती।
ढूँढ न निज को निज में पाती

नाम अधर पर है गोपाला।
गटकूं हर पल अमृत प्याला।।
दर्शन बिन मैं तड़पूं ऐसे।
मीन तड़पती जल बिन जैसे।।

नीर भरी हूँ बदली ऐसी।
प्रीत हुई रे तुझसे कैसी।।
दीवानी हूँ तेरी वैसी।
उस मीरा राधा के जैसी।।

नेह तनिक तू भी तो करले।
खोल भुजाएँ मुझको भरले।।
देह बदल कर जब जब आऊँ।
श्याम नाम की जोत जगाऊँ।।

आशा पाण्डेय ओझा

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