तुमने कहा
मुहब्बत में मत भटको
परमतत्व ढूंढो
दिन रात
भूखी प्यासी
लगी रही ढूँढने में
परमतत्व
जाने कितने
दिवस ,मास
बरस ,युग
बीत गए
पर नहीं मिला
वो परमतत्व
और मैं जानती हूँ
कि वो कभी मिलेगा भी नहीं
क्योंकि
तुम्हारे कहे में आकर
छोड़ जो दिया
मैंने उस तक पंहुचने का
सही रास्ता
जो था सिर्फ
और सिर्फ
मुहब्बत
ज़र्रे-ज़र्रे से
मुहब्बत
बहुत ही मोहम और रोचक शैली है आपकी
जवाब देंहटाएंthnx Ramesh ji
हटाएंउसकी बनाई प्रकृति से प्रेम ही उस तक पहुंचा सकता है..... अद्भुत भाव.....
जवाब देंहटाएंप्रेम सृष्टि का परम तत्व है, ईश्वर में भी तो वही मिलेगा...दार्शनिक कविता..
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उस तक पंहुचने का सही रास्ता
... सिर्फ , और सिर्फ मुहब्बत !
ज़र्रे-ज़र्रे से मुहब्बत !!
बहुत सही कहा आपने ...
आदरणीया आशा पांडे ओझा जी
सस्नेहाभिवादन !
सुंदर !
अच्छी भाव पूर्ण रचना है ...
आभार !
~*~नवरात्रि और नव संवत्सर की बधाइयां शुभकामनाएं !~*~
शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत सुन्दर आशा जी...
जवाब देंहटाएंअनु