संभल लड़की
सोहलवां बसंत
आँखों में ताज़े सतरंगी सपने
करवट बदलता मन का मौसम
एकम से पूनम की और बढ़ता
रूप रंग का चाँद
आस-पास की तारावलियों को मात देकर
सुन्दर और सुन्दर प्रतीत होने को
क्षण-क्षण निखारता खुद को
उड़ान को उतावले मन पंख
बेरोक बहती अल्हड़ नदी सी मासूम हंसी
बेखबर इस बात से कि
उमड़-घुमड़ रहे हैं आस-पास
आवारा बादल
ठन्डे-ठन्डे अहसासों के
तेरी गर्म देह पिघलाने को
संभल लड़की
सोहलवां बसंत
आँखों में ताज़े सतरंगी सपने
करवट बदलता मन का मौसम
एकम से पूनम की और बढ़ता
रूप रंग का चाँद
आस-पास की तारावलियों को मात देकर
सुन्दर और सुन्दर प्रतीत होने को
क्षण-क्षण निखारता खुद को
उड़ान को उतावले मन पंख
बेरोक बहती अल्हड़ नदी सी मासूम हंसी
बेखबर इस बात से कि
उमड़-घुमड़ रहे हैं आस-पास
आवारा बादल
ठन्डे-ठन्डे अहसासों के
संभल लड़की
bahut sunder kavita hai aasha ji , aage bhe asie kavita uplabdh karvate rahe
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