शुक्रवार, जून 23, 2017

संभल लड़की

संभल लड़की

सोहलवां बसंत
आँखों में ताज़े सतरंगी सपने
करवट बदलता मन का मौसम
एकम से पूनम की और बढ़ता
रूप रंग का चाँद
आस-पास की तारावलियों को मात देकर
सुन्दर और सुन्दर प्रतीत होने को 
क्षण-क्षण निखारता खुद को
उड़ान को उतावले मन पंख
बेरोक बहती अल्हड़ नदी सी मासूम हंसी 
बेखबर इस बात से कि
उमड़-घुमड़ रहे हैं आस-पास
आवारा बादल
ठन्डे-ठन्डे अहसासों के
तेरी गर्म देह पिघलाने को
संभल लड़की

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