गुरुवार, जून 22, 2017

जीवन माथा फोड़ी साहब
पल पल एक हथौड़ी साहब

चैन नहीं है दम भर इनको
साँसे फिरती दौड़ी साहब

रिश्ते  नाटक ऐसे करते
बिगड़ी जैसे घोड़ी साहब

अपने मन की सबने करली
कसर नहीं कुछ छोड़ी साहब

छोड़ ख़ुशी पल में भग जाती
ग़म से इसकी जोड़ी साहब

दुख का ट्रैफिक सुख को रोके
 किस्मत कर दो चौड़ी साहब

नियम बना दो कुछ तो दुख के
हद ही इसने  तोड़ी साहब

जोड़-जोड़ कर जोड़ा हमने
साथ न आई कौड़ी साहब

टूट-टूट  फिर से जुड़ जाती
 होती आस निगोड़ी साहब

आगे बढ़ने की जल्दी में
कितनी होड़ा-हौड़ी साहब

छोडो क्या  शिकवा भी करना
बची बहुत ही थोड़ी साहब

छुटकारा मिल जाये इससे
जाऊं हरकी पौड़ी साहब

आशा पाण्डेय ओझा

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