शुक्रवार, जून 23, 2017

हावी है जब तक पुरुषार्थ

हावी है जब तक पुरुषार्थ

देह दिखाना
तुम्हारा धर्म
गगन परिधान भी
तुम्हारा ही धर्म

पाप
स्त्री देह से
खिसकना दुप्पटा भी
धर्म,अर्थ,काम
तीनों पर हावी

जब तक पुरुषार्थ है
स्त्री कभी अहिल्या
कभी सीता कभी द्रोपदी
बनाई जाएगी पत्थर
कभी होगा चीर हरण
कभी होगी ज़मींदोज़द

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें